बड़बोले मंत्री जी: ऐसे कैसे पढ़ेंगे छात्र, नहीं मिलीं किताबें…..

देहरादून। राज्‍य के शिक्षा मंत्री सौ दिन में शत प्रतिशत अध्‍यापकों की भर्ती की बात तो कह गये लेकिन उनको ये नहीं पता है कि अभी तक सरकारी स्‍कूलों में किताबें तो पहुंची ही नहीं और अध्‍यापक पहुंचाने की बात की जा रही है। जी हां वर्तमान शैक्षिक सत्र में अप्रैल के पहले हफ्ते तक सभी छात्रों को किताबें मुहैया कराने का शिक्षा विभाग का दावा कोरा साबित हुआ। आज डेढ़ महीने बाद भी प्रदेश के सरकारी स्कूलों के हजारों छात्र किताबों के लिए तरस रहे हैं।  किताबों की किल्लत की समस्या हरिद्वार, टिहरी, चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, नैनीताल और पिथौरागढ़ में है।
शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने सभी सीईओ को पत्र जारी करते हुए एक हफ्ते के भीतर सभी छात्रों को किताबें मुहैया कराने के आदेश दिए हैं। कई जिलों में किताबों की उपलब्धता में सुधार  हुआ, लेकिन अब भी कई स्कूलों में दिक्कत कायम है। अब बिना किताब छात्र छुट्टियों में कैसे पढ़ेंगे।

जिलों में स्थिति

टिहरी: जीआईसी तिमली के प्रवक्ता बृजेश सिंह पंवार के अनुसार अब तक स्कूल में किताबें नहीं आई हैं। पढ़ाई के लिए छात्र बाजार से जैसे तैसे इंतजाम कर किताबें ला रहे हैं।

चमोली: जीआईसी पीपलकोटी में प्रवक्ता कमल किशोर डिमरी का कहना है कि अब तक छात्रों को किताबें नहीं मिली। राजकीय शिक्षक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष डिमरी कहते हैं कि कई बार अधिकारियों से कहा जा चुका है।

नैनीताल: जीआईसी पवलगढ़ के गणित के प्रवक्त योगेशचंद्र जोशी के अनुसार हाईस्कूल में गणित और संस्कृत विनोदी पुस्तक नहीं मिल पाई है।

चंपावत: उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय  छीनीगोठ के सहायक अध्यापक पल्लव जोशी बताते हैं कि कक्षा नौ और दस में  गणित और संस्कृत विनोदनी अब तक प्राप्त नहीं हो पाई है।  कक्षा में  केवल 12 छात्रों को विज्ञान की किताबें मिली है।

देहरादून: जीजीआईसी राजपुर की प्रधानाचार्य प्रेमलता बौड़ाई कहती हैं कि पहले किताबों की दिक्कत थी। लेकिन यह मामला उठने के बाद स्कूलों में सभी किताबें आ गईं।

अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब स्‍कूलों में किताबें ही समय से नहीं पहुंच पा रही हैं तो अध्‍यापक कैसे पहुंचेगे ये सोचने वाली बात है। बहरहाल अब देखना ये है कि क्‍या समय से ि‍कताबें पहुंच पाती है या नहीं।