एयरपोर्ट्स के बाद अब दिल्ली-मुंबई समेत कई रेलवे स्टेशनों पर अडानी की नजर

नई दिल्ली। दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी की अगुवाई वाला अडानी ग्रुप इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में तेजी से अपना विस्तार कर रहा है। खासकर एयरपोर्ट सेक्टर में उसने तेजी के अपने पैर पसारे हैं। मंगलुरु, लखनऊ और अहमदाबाद के बाद अब मुंबई एयरपोर्ट की कमान भी उनकी कंपनी अडानी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड के हाथों में आ गई है। कंपनी ने मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में 23.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली है। साथ ही वह जीवीके ग्रुप की 50.5 फीसदी हिस्सेदारी भी खरीद रही है। इस तरह ्र्र॥रु की मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड में हिस्सेदारी 74 फीसदी हो जाएगी। इसके साथ ही उसे नवी मुंबई में एयरपोर्ट विकसित करने का अधिकार मिल जाएगा। अडानी ग्रुप ने पिछले साल के आखिर में से मंगलुरु, लखनऊ और अहमदाबाद एयरपोर्ट्स का अधिग्रहण किया था। इस साल जुलाई तक वह जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट का भी अधिग्रहण कर लेगी। अडानी ग्रुप इन 6 एयरपोर्ट्स का विकास, प्रबंधन और परिचालन अगले 50 साल तक करेगा। इस तरह से अडानी ग्रुप एयरपोर्ट्स की संख्या के लिहाज से देश में सबसे बड़ा एयरपोर्ट ऑपरेटर बनने जा रहा है। हालांकि यात्री संख्या के लिहाज से त्ररूक्र देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट ऑपरेटर है। उसके पास दिल्ली का ढ्ढत्रढ्ढ्र, हैदराबाद और गोवा का मोपा एयरपोर्ट है।
एयरपोर्ट्स के बाद अब अडानी का जोर रेलवे स्टेशनों पर है। अडानी समूह की कंपनी जीएमआर एंटरप्राइजेज सहित 10 फर्मों ने 1,642 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के रीडेवलपमेंट के लिए बोली लगाई है। यह रेलवे स्टेशन यूनेस्को प्रमाणित वैश्विक विरासत सूची में शामिल है। भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम ( के अनुसार इस रेलवे स्टेशन का विकास चार साल में विभिन्न चरणों में किया जाएगा।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की रीडेवलपमेंट की होड़ में भी अडानी ग्रुप आगे है। इस योजना के लगभग 4 सालों में पूरा होने की उम्मीद है। इस परियोजना पर करीब 4,925 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। सिर्फ स्टेशन ही नहीं, आसपास के जगहों को नए तरीके से बदला जाएगा। सरकार ने हाल ही में इसके लिए रिच्ेस्ट फॉर चलिफिकेशन (आरएफक्यू) मंगाया था, ताकि ये पता चल सके कि प्राइवेट कंपनियां इस तरह से रेलवे स्टेशन को रीडेवलप करने में इच्छुक हैं या नहीं। इस प्रक्रिया में नौ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की कंपनियों ने भाग लिया, जिसमें जीएमआर, ओमैक्स और अडानी रेलवे शामिल हैं।
गौतम अडानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 24 जून 1962 को हुआ था। अडानी का परिवार बेहद संपन्न नहीं था इसलिए वो उस दौरान अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहते थे। अपनी पढ़ाई बीच में अधूरी छोडक़र अडानी एक दिन कुछ पैसे लेकर मुंबई आ गए, उस वक्त वो महज 18 साल के थे। मुंबई जाकर वह हिंद्रा ब्रदर्स में महज तीन सौ रुपये सैलरी पर काम करने लगे। लेकिन अडानी इतने में ही नहीं मानने वाले थे जल्दी ही उन्होंने 20 साल की उम्र में ही हीरे का ब्रोकरेज आउटफिट खोल लिया।
किस्मत ने साथ दिया और पहले ही साल कंपनी ने लाखों का टर्नओवर किया, फिर भाई मनसुखलाल के कहने पर अडानी मुंबई से अहमदाबाद आकर भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे। फिर पीवीसी इंपोर्ट का सफल बिजनस शुरू हुआ। जब प्लास्टिक कारोबार से पूंजी इकट्ठा हुई, तो 1988 में गौतम ने अडानी एक्सपोर्ट लिमिटेड की नींव डाली। यह कंपनी पॉवर व एग्रीकल्चर कमोडिटीज के सेक्टर में काम करने लगी। धीरे-धीरे एक्सपोर्ट का कारोबार गति पकड़ता रहा, उन्होंने पोर्ट सहित कई कारोबार में हाथ डाले तो हर जगह सफलता नसीब हुई।