आत्म विकास कार्यशाला में प्रशिक्षुओं ने सीखा व्यक्तित्व विकास करने के उपाय
आत्म विकास पर एमएड प्रशिक्षुओं की कार्यशाला जारी
अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में चल रही आत्म विकास ऑनलाइन कार्यशाला में एमएड प्रशिक्षुओं को व्यक्तित्व निखारने के कौशल के बारे में मास्टर टेªनरों द्वारा जानकारी दी जा रही है। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षुओं को कैरियर काउंसिलिंग एवं गाइडेंस देकर लक्ष्य निर्धारित व्यवहार के प्रति जागरूक करना है। शुक्रवार को आत्म विकास कार्यशाला के दूसरे दिन एमएड प्रशिक्षुओं को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डाॅ नगेंद्र सिंह गंगोला ने संप्रेषण कौशल विकसित करने के विविध उपागमों के बारे में जानकारी दीं। उन्होंने प्रशिक्षुओं को शाब्दिक, अशाब्दिक एवं सांकेतिक संप्रेषण कौशल के महत्व और भाषिक कौशल विकसित करने के उपायों के बारे में जानकारी दी। डाॅ गंगोला ने बताया कि भाषिक कौशल व्यक्तित्व के विकास में सबसे अधिक महत्व रखता है। भाषिक कौशलों के माध्यम से ही व्यक्ति समाज में अपने विचारों को प्रकट कर अपनी योग्यता को परिलक्षित करता है।
इस अवसर पर संकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष प्रो विजयारानी ढौड़ियाल ने अपने संबोधन में प्रशिक्षुओं को जीवन में आत्म विकास के महत्व और कमी के कारण व्यक्तित्व में पड़ने वाले दुष्परिणामों को बिंदुबार रेखांकित किया। वहीं, प्रो भीमा मनराल ने व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में अपने आप को समाज सम्मत कैसे बनाए और व्यक्तित्व निखारने के कारकों के बारे में बताया।
कार्यक्रम का संचालन कर रहीं विवि की सहायक प्राध्यापिका डाॅ संगीता पंवार ने भारतीय परिप्रेक्ष्य में आत्म विकास के महत्व के बारे में प्रशिक्षुओं को बताया। साथ ही आत्म विकास करने की विधियों और समूह परिचर्चा के महत्व के बारे में जानकारी दी। समूह गतिविधि के तहत प्रशिक्षुओं को अलग-अलग समूह में बांट कर आत्म विकास संबंधित विविध क्रियाकलाप भी कराए गए। कार्यशाला में वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो नवीन चंद्र ढ़ौडियाल, अंकिता कश्चप, गौहर फातिमा एवं एमएड प्रशिक्षुओं ने शिरकत की।