आरोपियों की रिहाई को सरल बनाने जमानत अधिनियम पेश करने पर विचार करे केंद्र : सुप्रीमकोर्ट

कहा-जांच एजेंसियां और उनके अधिकारी सीआरपीसी की धारा 41-ए का पालन करने के लिए बाध्य
सभी हाईकोर्टें उन विचाराधीन कैदियों का पता लगायें, जो जमानत की शर्तों को पूरा करने में समर्थ नहीं
नयी दिल्ली (आरएनएस)। सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को आपराधिक मामलों में आरोपियों की रिहाई को सरल बनाने के लिए उन्हें जमानत देने के वास्ते एक नया कानून बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने कई दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि जांच एजेंसियां और उनके अधिकारी सीआरपीसी की धारा 41-ए (आरोपी को पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने का नोटिस जारी करना) का पालन करने के लिए बाध्य हैं। शीर्ष अदालत ने सभी हाईकोर्टों से उन विचाराधीन कैदियों का पता लगाने को भी कहा, जो जमानत की शर्तों को पूरा करने में समर्थ नहीं हैं। न्यायालय ने ऐसे कैदियों की रिहाई में मदद के लिए उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया। सर्वोच्च अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों और राज्यों व केंद्र-शासित प्रदेशों की सरकारों से 4 महीने में इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। न्यायालय ने सीबीआई द्वारा एक व्यक्ति की गिरफ्तारी से जुड़े मामले में फैसला सुनाए जाने के दौरान ये दिशा-निर्देश जारी किए। फैसले का ब्योरा फिलहाल उपलब्ध नहीं कराया गया है।