गांव से शहर में बसने आए लोगों में शहरियों से ज्यादा मधुमेह
देहरादून। गांव से शहर में बसने आए लोगों में शहरियों से ज्यादा मधुमेह हो रहा है। शहर में बसे लोगों की अपेक्षा ऐसे लोगों में अधिक रफ्तार से डायबिटीज का प्रसार हो रहा है। हिमाचल प्रदेश समेत 28 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों पर हुए अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से करवाए इस अध्ययन की यह चौंकाने वाली रिपोर्ट जर्नल ऑफ डायबिटीज एंड इट्स कांप्लीकेशन में छपी है। यह अध्ययन 20 वर्ष की आयु से अधिक व्यक्तियों में मधुमेह और संबंधित कार्डियोमेटाबोलिक विकारों पर हुआ है।
अध्ययन के लिए गांव से शहर या शहर से गांव का प्रवासी उसे माना गया है, जो अपने जन्म स्थान से अलग स्थल पर चले गए और कम से कम एक साल के लिए नए स्थान पर रह रहे थे। एंथ्रोपोमीट्रिक माप, रक्तचाप का अनुमान और केपिलेरी मौखिक ग्लूकोज सहिष्णुता का भी परीक्षण हुआ। देशभर में यह अध्ययन 1,13,043 लोगों पर किया गया। इनमें हिमाचल प्रदेश के 3800 लोग शामिल हुए। इन लोगों में प्रदेश के 2800 शहरी या कस्बाई और 1200 ग्रामीण शुमार हुए। अध्ययन में शामिल लोगों में 66.4 प्रतिशत ठेठ ग्रामीण, 19.4 प्रतिशत ठेठ शहरी, 8.4 प्रतिशत गांवों से शहरों में प्रवास को आए लोग, 3.8 प्रतिशत अन्य शहरी प्रवासी और 2.0 प्रतिशत शहरों से गांव में गए प्रवासी थे।
मधुमेह का प्रसार गांवों से कस्बाई या शहरी क्षेत्रों को गए प्रवासियों में सबसे अधिक यानी 14.7 प्रतिशत था। दूसरे स्थान पर शहरी निवासियों में 13.2, शहरों से ग्रामीण प्रवास पर गए लोगों में 12.7 और ग्रामीण निवासियों में 7.7 प्रतिशत था। अन्य तीन समूहों की तुलना में गांवों से शहर में बसे लोगों में पेट के मोटापे की व्यापकता 50.5 प्रतिशत यानी सबसे अधिक थी। ग्रामीण निवासियों की तुलना में गांवों से शहर गए प्रवासियों में मधुमेह का जोखिम 1.9 गुणा ज्यादा आंका गया। पांच जोखिम कारक उच्च रक्तचाप, पेट और सामान्यीकृत मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता और कम फल और सब्जी का सेवन था।