
देहरादून। राजधानी देहरादून में विजयदशमी और दुर्गा पूजा का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। विशेष रूप से बंगाली समाज द्वारा मनाई जाने वाली इस परंपरा में देहरादून में भी कोलकाता जैसी झलक दिखाई दी।
आयुध निर्माणी रायपुर स्थित जूनियर क्लब के दुर्गा पूजा पंडाल में दशमी के दिन सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह विशेष पूजा-अर्चना के साथ मां दुर्गा की आराधना की गई। इसके बाद परंपरागत ‘सिंदूर खेला’ का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में समाज की विवाहित महिलाएं शामिल हुईं।
परंपरा और आस्था का संगम
‘सिंदूर खेला’ बंगाली समाज की एक विशेष परंपरा है, जो विजयदशमी के दिन प्रतिमा विसर्जन से पहले आयोजित की जाती है। इसके तहत सबसे पहले विवाहित महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर उनकी मंगलकामना करती हैं। इसके उपरांत वे एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्रार्थना करती हैं। इस अवसर पर महिलाएं पारंपरिक लाल-सफेद साड़ियों में सजधजकर आईं और पूरे माहौल को रंगीन व भक्ति से परिपूर्ण बना दिया। पंडालों में मां दुर्गा के जयकारों से वातावरण गूंज उठा।
मां दुर्गा को विदाई
पूजा और सिंदूर खेला के बाद भक्तजन शोभायात्रा के रूप में प्रतिमा विसर्जन के लिए निकले। ढोल-नगाड़ों और धुनुची नृत्य की धूम के बीच जब मां दुर्गा की प्रतिमा पंडाल से बाहर निकाली गई, तो हर किसी की आंखें भावुक हो उठीं। भक्तों ने नाच-गाकर मां को विदा दी और विसर्जन यात्रा में शामिल होकर पारंपरिक गीतों और नारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
क्यों खेला जाता है सिंदूर
मान्यता है कि मां दुर्गा साल में एक बार अपने मायके आती हैं और पांच दिन वहीं रहती हैं। इसी अवधि को दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी को मां दुर्गा मायके से विदा होकर ससुराल लौटती हैं। इस अवसर पर उन्हें सिंदूर अर्पित कर प्रतीकात्मक रूप से विदा किया जाता है। विवाहित महिलाएं भी एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर यह प्रार्थना करती हैं कि उनका सुहाग अटूट रहे और जीवन खुशहाल हो।
उत्सव में उमड़ा जनसैलाब
देहरादून के विभिन्न हिस्सों में स्थापित दुर्गा पंडालों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ रही। विशेषकर आयुध निर्माणी रायपुर के पंडाल में ‘सिंदूर खेला’ और प्रतिमा विसर्जन को देखने के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही बड़ी संख्या में बाहर से आए लोग भी जुटे। पूरे क्षेत्र का माहौल ऐसा था मानो कोलकाता की पारंपरिक दुर्गा पूजा का दृश्य यहां जीवंत हो उठा हो।