
अल्मोड़ा। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में शुक्रवार को ‘हिन्दी की सार्वभौमिकता’ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यशाला संस्थान के सभागार में उत्साहपूर्ण माहौल में संपन्न हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ परिषद गीत से हुआ। फसल सुधार प्रभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल कुमार हेडाउ ने निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त, मुख्य वक्ता प्रकाश चन्द्र जोशी और उपस्थित प्रतिभागियों का स्वागत किया। मुख्य वक्ता प्रकाश चन्द्र जोशी, अवकाशप्राप्त प्रवक्ता, रैमजे इंटर कॉलेज, अल्मोड़ा ने हिन्दी की विशेषताओं, इतिहास और विकास यात्रा पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने कहा कि हिन्दी ने देश को एक सूत्र में पिरोया है और यह सरल, सुगम व व्यावहारिक भाषा होने के कारण सभी की समझ में आने वाली है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रशासनिक कार्यों, वैज्ञानिक अनुसंधान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी का प्रयोग बढ़ने से कामकाज और आसान होगा और हिन्दी के प्रति लोगों का विश्वास भी मजबूत होगा। निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी संस्थान की कार्यक्षमता बढ़ाने में राजभाषा का प्रयोग अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत के राज्यों में हिन्दी प्रचार-प्रसार के प्रयास उल्लेखनीय हैं, जिससे हिन्दी की पहुँच और व्यापक हुई है। उन्होंने कहा कि हिन्दी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी समान सम्मान मिलना चाहिए। डॉ. कान्त ने यह भी कहा कि किसानों तक कृषि अनुसंधान पहुँचाने के लिए स्थानीय भाषा और हिन्दी का समन्वय सबसे प्रभावी साधन है। कार्यशाला में संस्थान के वैज्ञानिकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन राजभाषा प्रभारी अधिकारी रेनू सनवाल ने किया, जबकि वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रमेश सिंह पाल ने आभार व्यक्त किया।




