सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मां चंडी देवी मंदिर का केस

हरिद्वार(आरएनएस)। हरिद्वार में प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां चंडी देवी के प्रबंधन को लेकर विवाद सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। यहां के ‘सेवायत’ भवानी नंदन गिरी ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है, जिसमें बदरी-केदार मंदिर समिति को मंदिर प्रबंधन देखने के लिए रिसीवर नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था। हाई कोर्ट ने आदेश तब सुनाया था, जब अदालत में मंदिर के मुख्य पुजारी के लिव इन पार्टनर की अग्रिम जमानत का मामला सामने आया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट को चंडी देवी मंदिर के सेवायत की याचिका पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया। सेवायत वह पद है, जो मंदिर में पूजा-पाठ और प्रबंधन की देख-रेख करते हैं।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एसवी एन भट्टी की बेंच ने हरिद्वार डीएम से मंदिर प्रबंधन में गड़बड़ी है या नहीं, इस पर रिपोर्ट देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने छह हफ्तों में यह रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपने का आदेश दिया।
याचिकाकर्ता की क्या दलील: भवानी नंदन गिरी का कहना है कि उनके पूर्वज 8वीं शताब्दी से (आदि शंकराचार्य के समय से) मंदिर की सेवा करते आ रहे हैं। 2012 से ही डीएम और एसएसपी की अध्यक्षता में बनी एक समिति मंदिर की देखरेख कर रही है, इसलिए अतिरिक्त रिसीवर की जरूरत नहीं थी। हाईकोर्ट ने बिना सबूत और शिकायत के ही यह आदेश दे दिया। यह आदेश तब पारित हुआ, जब अदालत एक अपराध मामले में जमानत अर्जी सुन रही थी।
विवाद क्या है: हाईकोर्ट ने आदेश तब दिया जब रीना बिष्ट नाम की महिला, जो मंदिर के मुख्य पुजारी महंत रोहित गिरी की कथित लिव-इन पार्टनर हैं, ने जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। रोहित गिरी की पत्नी गीताांजलि ने उन पर और रीना बिष्ट पर गंभीर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें आरोप था कि रीना बिष्ट ने 14 मई को उसके बेटे को गाड़ी से कुचलने की कोशिश की। उसी दिन रोहित गिरि को पंजाब पुलिस ने एक अलग छेड़छाड़ मामले में गिरफ्तार कर लिया और वह फिलहाल हिरासत में है। हाईकोर्ट ने कहा था कि मंदिर ट्रस्ट में गंभीर अनियमितताएं और अव्यवस्था है और दान राशि के दुरुपयोग की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।