गंभीर बीमारियों की दवाओं के घटेंगे दाम!?

नई दिल्ली। अब साल 2020 बीत गया है। कारोना काल में मास्क, हैंड सेनेटाइजर, फेसशील्ड जैसे सामान खूब बिके। साल 2021 की शुरुआत में ही वैक्सीन आ गई। दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में कोरोना के केस घटे हैं। डॉक्टर्स ने भी ओपीडी में मरीजों को फिजिकल देखना शुरू कर दिया है। दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले मरीज भी शहरों में इलाज कराने आएंगे। इससे केमिस्ट का काम बढ़ेगा। मेडिकल स्टोर संचालकों की डिमांड है कि सरकार आगामी बजट में कुछ ऐसे प्रावधान करे, जिससे गंभीर बीमारियों की दवाओं के रेट घट जाएं। हमारे संवाददाता सूरज सिंह बता रहे हैं कि क्या कह रहे हैं दवाओं के कारोबारी? पश्चिम विहार के केमिस्ट प्रयांश गुप्ता का कहना है कि इस साल केमिस्ट को सरकार से काफी आशा है। सरकार आगामी बजट में कुछ इस तरह का प्रावधान करे कि कैंसर, हार्ट, किडनी रोग आदि की दवाएं सस्ती हो। उनका कहना है कि पिछले साल कुछ दवाइयों की कमी भी मेडिकल स्टोर पर महसूस हुई। तब भी कोरोना काल में केमिस्टों ने घर-घर दवाइयां पहुंचाईं। यह नए तरह का एक्सपीरियंस रहा। सरकार ने भी आसानी से पास और जरूरी दस्तावेज बनवाए। प्रशासन ने महामारी के दौर में जिस तरह से केमिस्ट का सपोर्ट किया, वैसा ही बजट में भी सपोर्ट मिलेगा। गुप्ता का कहना है कि दुनिया के कई देशों के मरीज भारत में इलाज कराने आते हैं। दिल्ली में भी दूसरे राज्यों के पेशंट आते हैं। यहां इलाज सस्ता और बेहतर है। अफगानिस्तान और रूस जैसे देशों के पेशंट इंडिया आते हैं। 2020 में काफी सर्जरी पोस्टपोन हुईं, जो 2021 में होंगी। इससे मेडिकल इंडस्ट्री में भी उछाल आएगा। अब सरकार से मांग है कि वह इस तरह से उपाय करे, जिससे मेडिकल टूरिज्म को और बढ़ावा मिले। साथ ही कोरोना वैक्सीन को किफायती दामों पर मेडिकल स्टोर में उपलब्ध कराया जाना चाहिए। ऑल इंडिया केमिस्ट एंड डिस्ट्रीब्यूटर फेडरेशन के प्रेसिडेंट कैलाश गुप्ता का कहना है कि केमिस्टों के लिए साल 2020 तो ओवरऑल ठीक रहा है। कोरोना की वजह से भले ही दवाइयां ज्यादा नहीं बिकी हों, लेकिन मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स, थर्मल स्कैनर, नेबुलाइजर और इम्युनिटी बूस्टर जैसी दवाइयों का अच्छा बिजनेस हुआ है। फार्मा कंपनियों की सेल डाउन रही। अब 2021 में कोविड-19 की वैक्सीन आने के बाद डर कम हुआ है। हॉस्पिटल्स में ओपीडी शुरू हो गई है। अभी दवा का व्यापार 20त्न कमजोर है। अस्पतालों में भी कोरोना के लिए रिजर्व बेड घटाए हैं, जिससे अन्य बीमार मरीजों का इलाज होने में दिक्कत नहीं है। गुप्ता का कहना है कि अब अस्पतालों में सर्जरी शुरू हो गई है, जिसमें दवाइयों की जरूरत होगी। यानी 2021 में केमिस्ट और फार्मा कंपनियों का काम अच्छा चलने की आशा है। दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले मरीज भी शहरों के अस्पतालों की ओर रुख करेंगे। 2020 में अधिकतर लोग घरों में थे और खान-पान पर खास ध्यान दे रहे थे। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और गेस्ट्रो को कंट्रोल किया। अब सभी घरों से बाहर निकलेंगे। स्ट्रीट फूड खाएंगे। खानपान ठीक नहीं होने पर शरीर में दिक्कत होगी, तो वो डॉक्टर के पास जाएंगे। वे दवाइयों का पर्चा लिखेंगे, जिससे केमिस्ट के साथ फार्मा वालों का कारोबार भी बढ़ेगा।