वाटर कलर पेंटिंग एक साधना है: पद्मश्री यशोधर मठपाल
अल्मोड़ा। वाटर कलर पेंटिंग एक साधना है और इसके लिए लम्बी अवधि लगती है यह बात पद्मश्री यशोधर मठपाल ने अपनी कला प्रदर्शनी हेतु आयोजित प्रेसवार्ता में कही। पद्मश्री यशोधर मठपाल द्वारा एक कला प्रदर्शनी शारदा पब्लिक स्कूल में लगाई जा रही है। तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी 19 से 21 अक्टूबर तक शारदा पब्लिक स्कूल में आयोजित हो रही है। पद्मश्री यशोधर मठपाल ने कहा कि उन्होंने वाटर कलर की तकनीक का उपयोग करने को लम्बी साधना की है। टेम्परा, एक्रेलिक, ऑयल पेंटिंग की अपेक्षा वाटर कलर पेंटिंग में अधिक समय लगता है। उन्होंने बताया उनको बचपन से ही चित्रकारी का शौक था कक्षा तीन में उन्होंने विद्यालय की दीवारों पर चित्रकारी की थी बाद में उन्होंने लखनऊ से फाइन आर्ट की शिक्षा ली। उन्होंने चित्रों में दो मुख्य विषय बताए, एक तो संस्कृति और दूसरा प्रकृति पर आधारित चित्रकला में अपना रुझान बताया। पद्मश्री यशोधर मठपाल ने कहा कि उन्होंने गुफा चित्रकला में अपने जीवन के 40 साल लगाए हैं जिसके लिए उन्होंने उत्तराखंड से केरल तक यात्रा की है। उन्होंने बताया कि गुफाओं में कला के लिए उन्हें कई दिनों तक मेहनत करनी पड़ती थी। 2006 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें आज तक 100 से अधिक सम्मानों से नवाजा जा चुका है। 1983 में उन्होंने लोक संस्कृति संग्रहालय गीता धाम की भीमताल में स्थापना की। उन्होंने संग्रहालय को पर्यटन मानचित्र पर रखने की भी सरकार से मांग की। उन्होंने बताया कि वाटर कलर से कोई नुकसान नहीं होता है और यह आँखों के लिए भी सुरक्षित है। चित्रकारी मेडिटेशन के सामान है और यह सकारात्मक ऊर्जा देती है। मानवजाति का आदिकाल से रंगों से नाता रहा है। आदिकाल के अवशेषों में भी रंगों के टुकड़े मिले हैं। पत्रकार वार्ता में विद्यालय की प्रधानाचार्या विनीता शेखर लखचौरा ने कहा कि इस प्रदर्शनी से बच्चों को काफी सीखने को मिलेगा। कला से ईमानदारी आती है और मेहनत का जज्बा जगता है। कला से बच्चों में रचनात्मकता का विकास होता है और बच्चों में धैर्य क्षमता बढ़ती है। उन्होंने बताया कि पद्मश्री यशोधर मठपाल ने पूर्व में भी विद्यालय के विद्यार्थियों हेतु 03 दिन की कार्यशाला आयोजित की थी। इस प्रदर्शनी से भी विद्यार्थियों की रचनात्मक क्षमता का विकास होगा। यहाँ पत्रकार वार्ता में पद्मश्री यशोधर मठपाल के साथ प्रधानाचार्या विनीता शेखर लखचौरा और डॉ. सुरेश मठपाल मौजूद रहे।