13 दिसम्बर से शुरू होगा बूढ़ी दिवाली का पर्व

विकासनगर। दिवाली के ठीक एक महीने बाद जौनसार क्षेत्र में मनाई जाने वाली बूढ़ी दिवाली का पर्व 13 दिसम्बर से शुरू होगा। पांच दिवसीय दिवाली को लेकर क्षेत्रवासियों में खासा उत्साह बना हुआ है। क्षेत्र के हर गांव में पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। महिलाएं पुरुष जहां साफ-सफाई और खरीदारी में जुटे हैं, वहीं घर-घर में चिउड़ा तैयार किया जा रहा है। बूढ़ी दिवाली पर पहाड़ी उत्पाद झंगोरे से तैयार विशेष पकवान मेहमानों को परोसे जाएंगे। इसके बाद दूसरे दिन रात्रि में होलियात खेलने के बाद आधी रात तक ग्रामीण अपनी लोक संस्कृति पर आधारित लोकगीतों और लोकनृत्यों पर थिरकते हुए पर्व का जश्न मनायेंगे। तीसरे दिन भिरुड़ी का आयोजन होगा। जिसमें अंतिम होलियात खेली जाएगी। चौथे दिन मुख्य भांड़ व पांचवें दिन गांवों में पांडव नृत्य के साथ पर्व को विदाई दी जाएगी। पर्व को लेकर स्थानीय लोगों में खासा उत्साह बना हुआ है। दूरदराज के इलाकों में नौकरी कर रहे लोगों ने भी पर्व को लेकर घरों को आना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, घरों में पर्व की तैयारियों को लेकर ग्रामीण जुटे हुए हैं। साहिया, कालसी के साथ विकासनगर बाजार में भी पर्व की रौनक देखने को मिल रही है।

क्यों मनाते हैं एक माह बाद दिवाली

जौनसार बावर क्षेत्र में दिवाली का पर्व एक माह बाद मनाने के कई तर्क हैं। लोगों की मानें तो लंका फतेह करने के बाद प्रभु श्री राम के वनवास से अयोध्या लौटने की सूचना यहां एक माह बाद पहुंची थी। उसी दिन लोगों ने दीप जलाकर दिवाली का जश्न मनाया था। वहीं, कुछ बुजुर्गों की मानें तो, जब जौनसार व जौनपुर क्षेत्र सिरमौर राजा के अधीन था, तो उस समय राजा की पुत्री दिवाली के दिन मर गई थी। इसके चलते पूरे राज्य में एक माह का शोक मनाया गया था। उसके ठीक एक माह बाद लोगों ने उसी दिन दिवाली मनाई।